धार्मिक स्थान :श्री नकरया बाबा
(जय हो ,जय हो)
हर स्थल का अपना अपना इतिहास और धार्मिक महत्त्व होता है। ऐसा ही एक स्थान है श्री नकरया बाबा. जो कि एक धार्मिक स्थल (मतलब पूज्यनीय जगह), लोग दूर-दूर से यहाँ दर्शन करने आते है |
कहाँ है : सागर जिले के ग्राम पड़वार से लगभग 3 कि.मी. दूर सागर जंगल रोड में पहाड़ी पर यह स्थान हैं।
धार्मिक स्थान के बारे में गाँव के लोगों की मान्यता है :
लगभग सौ साल पहले जंगल में एक सिद्ध बाबा ने सिद्ध स्थान पर महत्वपूर्ण पेड़ के नीचे पत्थरों का चबूतरा बनाया और प्रतिदिन झाड़-पेड़ की डाली तोड़कर चढ़ाने लगे और यह देखकर राहगीर भी वैसा करने लगे, वहां पर मिट्टी के बने घोड़ा, घड़ा बाबा ने रखा और सिद्ध स्थान बनाया और 20-25 फुट पानी पीने के लिए कुआ खोदा जो कि असफल रहा।
पड़वार, राकसी, मठया आदि गांव के किसान सागर गल्ला मंडी (लगभग 15 कि.मी.) अपनी-अपनी बैलगाड़ी से अनाज बेचने जाते थे और झाड़-पेड़ की नकरिया तोड़कर सिद्ध पर चढ़ाते थे और जो भी गढादान फारेस्ट रास्ते से गुजरते थे वे वैसा ही करते थे. प्रसाद नारियल भी चढ़ाते थे सिद्ध स्थान से लगभग 2 कि.मी. पहाड़ी के नीचे सडेरी गांव तरफ एक तालाब किसी ने जानवरों को पानी पीने के लिए बनाया इससे आस-पास पानी का अन्य कोई साधन नहीं हैं।
आस-पास के गांव वाले गर्मी के मौसम में एवं ठंड सीजन में बैलगाड़ियों से परिवार के साथ (पिकनिक एवं दर्शन करने हेतु), गकरयाव (बाटिया) बनाकर खाने सिद्ध स्थान पर आते-जाते रहते है और नारियल प्रसाद चढ़ाकर काम सिद्ध होने की कामना करते है ।
समय बीतते श्रद्धालुओं द्वारा चबूतरा बनवाया और पूजा करनें लगे , बाद में मढ़िया भी बनी ,हेडपंप भी लगा । पंडित लोग आवास बनाकर निरंतर रहने लगें। चैत मास में विगत 4-5 वर्ष से मेला लगता है। पंडित एवं श्रद्धालु धार्मिक आयोजन, कथा प्रवचन कराते हैं।
निवासी पंडितों ने अब लकडया बाबा का सकेत बोर्ड रोड पर लगाया है। श्रद्धालुओं द्वारा मान स्थापना कर पूजा वगैरह करके काम सिद्ध पर भंडारे भी करते है और जंगल में धार्मिक स्थल प्रसिद्ध हो गया।
वारछा केरवना, कर्रापुर से 2-3 कि.मी. दूर सागर छतरपुर राजमार्ग है।